प्रयाग यात्रा - 4 पौराणिक और प्राचीन महत्व (।।) कहा जाता हैं, माघ महीने में यहाँ सब तीर्थों का वास रहता है, अत: इस महीने में यहाँ वास करने का बहुत फल लिखा है, पर यहाँ बैलगाड़ी पर सवार होकर नहीं जाना चाहिए। प्रयाग को ‘तीर्थराज’ कहा गया है, अर्थात पग यात्रा करके यहाँ त्रिवेणी में स्नान करने का विशेष माहात्म्य है, जिसमें गंगा, यमुना तथा सरस्वती का संगम होता है।बुद्ध साहित्य में भी प्रयाग का किसी बड़े नगर के रूप में वर्णन किया गया था, वरन् बुद्ध काल में वत्सदेश (16 महा जनपदों मे से एक) की राजधानी के रूप