मेरा तुझसे है पहले का नाता कोई - भाग 1

अधिराज की दुनिया...फूलो सी महकती वादियां और नदी का किनारा जहां उसके किनारे बना है एक वूडन हाऊस राजमाता रत्नावली परेशान सी इधर उधर घूम रही थी और मदहोश से बैठे अपने बेटे को देखती हुई कहती हैं...." और कब तक ऐसा ही चलेगा अधिराज...?..."उदासी से भरे शब्दों में अधिराज कहता है...." क्या मां...?... क्या करना है हमें...?..." " आप ही तो सब कुछ कर सकते हो अधिराज आप अपनी प्रजा को नहीं बचा पा रहे हैं देखिए दिन प्रतिदिन प्रक्षिरोक्ष का कहर बढ़ रहा है और आप अभी तक वैदेही के वापस आने की प्रतीक्षा कर रहे हैं..." रत्नावली अधिराज को