एपिसोड 26: ख़ामोश साज़िशपहले संदेह, फिर धोखारात के अंधेरे में समीरा अपने कमरे की खिड़की से बाहर देख रही थी। उसकी ज़िंदगी में सब कुछ उलझ चुका था। एक तरफ़ उसका अतीत, जो उसे हर कदम पर डराता था, और दूसरी तरफ़ उसका भविष्य, जो अभी धुंधला था।तभी फोन की घंटी बजी। उसने देखा – सलोनी का कॉल।पहले तो उसका मन नहीं किया कि वह कॉल उठाए, लेकिन फिर उसने हिम्मत जुटाई।"हेलो?" समीरा ने धीरे से कहा।"समीरा, क्या हम मिल सकते हैं?" सलोनी की आवाज़ में एक अजीब सी नरमी थी।समीरा चौंक गई। उसने सोचा, "इतने दिनों बाद सलोनी को