नफ़रत-ए-इश्क - 39

  • 672
  • 333

"कुछ दगाबाजी हम तेरे एतबार से यूं करेंगे तुझसे नफरत भी जालिम हम तुझ पर प्यार लुटा कर करेंगे।"            कहते हुए विराट गाड़ी से उतरा और तपस्या की ओर कदम बढ़ा दिया। इस वक्त बीच के उस जगह  पर भीड़ नहीं थी। तपस्या उसके और आई हुई लहरों को देखते हुए उसी के तरफ ही कदम बढ़ा रही थी।  ठंडी हवा उसके बालों को उड़ा कर बार-बार उसके चेहरे को ढक रहे थे। और वो बार-बार उसे अपने चेहरे से हटाने की नाकाम कोशिश कर रही थी।"ये ना तब आपकी बात मानते थे ना अब मानेंगे