प्रयाग यात्रा - 2 भौगोलिक स्थिति

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प्रथम भाग के अंदर आप प्रयागराज के बारे मे संक्षिप्त परिचय से अवगत हुए जो इस प्रयाग यात्रा पर चलने से पहले जानना बेहद आवश्यक है। प्रयागराज में भगवान श्री विष्णु के बारह स्वरूप विध्यमान है, जिन्हें द्वादश माधव कहा जाता है। हिन्दू धर्मग्रन्थों में वर्णित प्रयाग स्थल पवित्रतम नदी गंगा और यमुना के संगम पर स्थित है।यहीं सरस्वती नदी गुप्त रूप से संगम में मिलती हैं, अतः ये त्रिवेणी संगम कहलाता है, जहाॅं प्रत्येक बारह वर्ष में कुम्भ मेला लगता है।प्रयाग का वर्णन तुलसीदास की रामचरित मानस और बाल्मिकी की रामायण मे भी है, यही नहीं सबसे प्राचीन एवं प्रामाणिक पुराण