इश्क दा मारा - 65

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गीतिका और यूवी बैठ कर बाते कर रहे होते हैं। तभी गीतिका बोलती है, "काश ये वक्त यही पर रुक जाए और मैं यूं ही आपके पास रहु "।तब यूवी बोलता है, "वैसे आज घर जाने का इरादा मत बनाना, यही पर मेरे साथ रहना, क्योंकि रात के वक्त यहां का नजारा और भी ज्यादा अच्छा होता है "।तब गीतिका बोलती है, "दिन में तो कॉलेज का बहाना करके आई हूं, अब रात मे क्या बहाना बनाऊंगी "।तब यूवी बोलता है, "ये तुम सोचो "।तब गीतिका बोलती है, "हा सब कुछ मैं ही सोचूं, आप कुछ मत सोच लेना"।तब यूवी