दूसरी संतान बेटी हुई थी।मैने पहले ही बोल दिया था।चाहे लड़का हो या लडक़ी नसबंदी करा दूंगा।और ऐसा ही किया था।मैं तो डिलीवरी के समय मौजूद नही था।मेरी सास थी।उन्होंने कागज पर अपने हस्ताक्षर किए थे।उसी समय दो नम्बर के साले की पत्नी ने उसी अस्पताल में लड़के को जन्म दिया था।लेकिन उसकी मृत्यु हो गयी थी।अस्पताल से छुट्टी मिलने पर मेरी सास अपनी बेटी यानी मेरी पत्नी को लेकर नरेना आ गयी थी।उन दिनों मेरे श्वसुर नरेना स्टेशन पर स्टेशन मास्टर के पद पर कार्यरत थे।उन्हें स्टेशन के पीछे ही क्वाटर मिला हुआ था।नरेना ,अजमेर और फुलेरा के रास्ते