पाश्चातय सभ्यता का दुष्प्रभाव

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        वाजिद हुसैन सिद्दीक़ी की कहानी मालती, एक सत्रह वर्षीय कॉलेज की छात्रा, अपनी मासूमियत और विनम्रता के साथ अपने गांव की सबसे सुंदर लड़की मानी जाती थी। उसकी त्वचा उज्जवल थी, और उसकी आंखों में एक गहरी उदासी थी, जिसे कोई भी समझने का प्रयास नहीं करता था। वह कभी हस्ती नहीं थी, और अपने आप में ही खोई रहती थी। लेकिन उसकी आत्मा में एक छिपा हुआ दर्द था, एक ऐसा दर्द जो उसे अपनी कठिन परिस्थिति और संघर्ष से मिला था। बनखेड़ी में जहां लड़कियों की जिंदगी में जटिलताएं और उलझने थी, मालती का जीवन एक आदर्श बन सकता था,