कुछ तो ऐसा नशा था उन भूरी आंखों में....राजबीर के कदम उसके ही तरफ बढ़ ते चले जाते हैं। और उसकी आँखें ... उन भूरी आंखों के नशे में जेसे कैद ही हो जा रहे थे।राजवीर एक टक उसकी आंखों में देख ते हुए बस अपने कदमों को उसके तरफ़ बढ़ाए जा रहा था। और उसकी वो डरी सहमी आंखे कभी राजबीर को देख ते ,...तो कभी उसके बढ़ ते कदमों को।जेसे जेसे राजबीर की कदम उसके करीब बढ़ते हैं ,वो अपने कदमों को पिछे लेने लगती हे। पीछे कदम लेते लेते वो दीवार से टकरा गई। राजवीर उसके एक