चंद्रिका

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जंगल की घनी अंधेरी रात में, विक्रम अपनी कठोर साधना में लीन था। वह आठवें दिन तक लगातार मंत्र जाप करता रहा था, क्योंकि उसे सिद्धि के नौवें दिन पर वह अनुभव होने वाला था, जिसे पाकर वह अपने मन में बसे यक्षिणी – चंद्रिका – को अपनी पत्नी के रूप में सिद्ध करना चाहता था। बचपन से सुनी उसकी कथाएँ, उसकी अतुलनीय सुंदरता और मनोकामनाएँ पूरी करने की शक्तियाँ, इन सब ने विक्रम के मन में उस स्त्री के लिए अटूट प्रेम भर दिया था। उसे विश्वास था कि वह उसे प्राप्त कर ही लेगा, चाहे साधना कितनी भी