जुर्म की दास्ता - भाग 4

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"तुम सुजान को पूरी तरह से जानते नहीं।" उमाशंकर ने एक दी निःश्वास के साथ कहा-"एक नम्बर का हरामी है। फिर अपनी बात को पुलिस के सामने साबित करने के लिए कोई सबूत भी तो नहीं है। रहमत मियां का हवाला भी नहीं देसकता मैं। ""लेकिन इस अपहरण को रोकने के लिए पुलिस को खबर करने के अलावा और कोई चारा भी तो नहीं है। सुजान और उसके दोस्त की पुलिस में बहुत ज्यादा जानकारी हो सकती है। लेकिन कोई सारा पुलिस डिपार्टमेंट तो उनका खरीदा हुआ नहीं हो सकता। मेरी मानिए और पुलिस में खबरकर दीजिए"मेरा ख्याल कुछ और