ये दिल आशिकाना,,,,,,,,,,सर्दियों की हल्की गुलाबी शाम थी। सूरज धीरे-धीरे ढल रहा था और उसकी सुनहरी किरणें शहर की ऊँची-ऊँची इमारतों से टकराकर एक अद्भुत नज़ारा बना रही थीं। मुंबई की भागदौड़ भरी ज़िंदगी में, एक लड़की अपने कमरे की खिड़की पर बैठी दूर क्षितिज को ताक रही थी। उसका नाम था आर्या। किताबों और कविताओं से प्यार करने वाली आर्या, एक साधारण लेकिन भावनाओं से भरी हुई लड़की थी। जो वक्त के साथ खुद को अपनों से दूर किए जा रही थी, मानो अकेलापन ही उसका साथी हो ....वहीं दूसरी ओर था करण—एक बेफिक्र, मस्तमौला लेकिन दिल से सच्चा