रात जो कभी खत्म नहीं होती – भाग 3खेल के नए नियमकमरे में अब भी पिछली रात की गूंज थी—बिखरी चादरें, सिगरेट का ठंडा पड़ चुका धुआं, और हवा में तैरता एक अधूरा सवाल—क्या यह सिर्फ एक खेल है?सान्या के कदमों की आहट कॉरिडोर में गूंज रही थी, लेकिन इस बार उसका दिल भी अजीब सी बेचैनी से भरा था। क्या वो सच में खुद को इस खेल से अलग कर सकती थी? या फिर आयुष की तरह उसे भी यह खेल ज़रूरत से ज्यादा पसंद आ गया था?अनसुलझे एहसासअगली रात...सान्या आईने के सामने खड़ी थी, बालों को कसकर बांधते