बेवजह की प्यास - भाग 2

रात जो कभी खत्म नहीं होती – भाग 2सिर्फ एक खेल? या उससे भी ज्यादा?सान्या के कदमों की आहट जैसे ही कॉरिडोर में गूंजने लगी, आयुष ने दरवाजे पर घूंसा मार दिया। उसकी साँसें तेज थीं, जैसे उसकी गिरफ्त से कुछ फिसल गया हो। कमरे में अब भी सिगरेट का धुआँ फैला हुआ था, पर्दों के पीछे से आती सुबह की हल्की रोशनी माहौल को और भी धुंधला कर रही थी।सान्या की चाल धीमी थी, मगर उसके चेहरे पर वही सुकूनभरी मुस्कान थी, जो हर रात के बाद रहती थी। वो जानती थी कि आयुष इस रिश्ते को क्या नाम