सुबह की हल्की धूप खिड़की के पर्दों से छनकर कमरे में बिखर रही थी। सहदेव अपनी नींद से जागते ही खुद को पहले से ज्यादा तरोताजा और हल्का महसूस कर रहा था। आज सुबह कुछ अलग थी। मन में एक अजीब-सी खुशी थी, और चेहरे पर हल्की मुस्कान। जैसे ही वह बाथरूम की ओर बढ़ा, हल्की-फुल्की धुन गुनगुनाने लगा। "आज फिर जीने की तमन्ना है... आज फिर मरने का इरादा नहीं..." पता नहीं कितने महीनों बाद उसने अपने चेहरे की ठीक से देखभाल की थी। शेव करने के बाद उसने फेशियल क्रीम लगाई और हल्के हाथों से मसाज करने लगा। आईने में