पथरीले कंटीले रास्ते - 30

  30   गुणगीत की याद रविंद्र के दिल और दिमाग पर पूरी तरह से हावी हो गयी थी । अपने एक ख्याल से वह घबरा गया । इस खोए से मन की बेचैनी है । एक सहमा सा डर है । और यह रातों का जागरण है । रविंद्र ने वह सारी रात कुछ जागते , कुछ सोते हुए अधनींदे से होकर बिताई । दिन निकला तो उसने परमात्मा का शुक्र किया । रात तो बीती । कम से कम अब वह बाहर की खुली हवा में साँस तो ले सकेगा । अपने आप को कहीं किसी काम में