ख़ुद से एक मुकालमा

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तुम पढ़ रहे हो, ना?मुझे सुन रहे हो?क्यूँ पढ़ रहे हो?शायद तुम्हें जवाब चाहिए, शायद तुम्हें समझना है कि ये एहसास जो तुम्हारे अंदर घर कर गया है, ये सिर्फ़ तुम्हें ही नहीं घेर रहा।शायद तुम जानना चाहते हो कि ये ख़ालीपन, ये घुटन, ये थकान… आख़िर ये है क्या?तो सुनो।मैं तुम्हें कुछ बताने वाली हूँ।डिप्रेशन—एक लफ़्ज़, बस एक लफ़्ज़, लेकिन इसे जीना… मौत से भी बदतर।ये ऐसा है जैसे अंदर कोई शोर मचा रहा हो, लेकिन बाहर सब कुछ ख़ामोश हो।जैसे कोई तुम्हें पुकार रहा हो, लेकिन जब तुम जवाब दो, तो एहसास हो कि वो तो तुम्हारी ही