सन,१००९सत्यगंज राज्य, का जंगलएक व्यक्ति वृक्ष की छाया में आंख मूंद कर लेटा हुआ था।देखने पर ऐसा लगता हैं मानो गहरी निंद्रा में हो सर पर पगड़ी और,पुराना सा धोती कुर्ता पहने,कमर पर तलवार अस्त्र,कानो में कुंडल ,पूरा चेहरा कपड़े से लपेटा हुआ था। दिख रही थी तो बस बंद आखें जो किसी की आवाज से खुलने वाली थी और खुल भी गई,,, क्योंकि वृक्ष से बंधा उस व्यक्ति का घोड़ा जोर जोर से हिनहिना रहा था। जैसे उसे किसी का भय हो तभी उस घोड़े को एक चिंता से भरी दयनीय आवाज आती हैं।"घुनमुन,,,अचानक क्या हुआ तुम्हे,,,?शांत हो जाओ,,,भयभीत