नफ़रत-ए-इश्क - 32

  • 885
  • 459

सुबह का वक्त रायचंद हाउससुबह की पहली किरण से ही तपस्या की नींद टूटती है और नींद टूटते ही उसने खुद को किसी के आगोश में महसूस किया उसने अपनी आंखें खोली तो उसका चेहरा किसी के सीने से लगी हुई थी उसने अपनी आंखें बंद कर ली और खुद से ही बोली"इतना लंबा सपना भी मत देखो तपस्या की सपने में ही शादी हो जाए और बच्चे भी और उनके नामकरण भी।""अगर आधे किस्स में ही आप घोड़े बेचकर सो जाएंगे गर्लफ्रेंड , तो क्या बच्चे हवा में पैदा होंगे?"एक आलस से भरी हुई सर्द आवाज सुनकर तपस्या पूरी