ब्लैकवुड फैक्ट्री की ओर बढ़ते कदमलोकेश के दिमाग में केवल मुस्कान का चेहरा घूम रहा था। वह किसी भी कीमत पर उसे वापस लाना चाहता था। आदित्य के साथ, वह ब्लैकवुड फैक्ट्री की ओर बढ़ा। रास्ता लंबा और अंधेरा था, लेकिन लोकेश की आँखों में एक अजीब सा आत्मविश्वास था। उसे अब इस बात की परवाह नहीं थी कि वह कहाँ जा रहा था, बस एक ही सोच थी—मुस्कान को बचाना है।वह जैसे ही फैक्ट्री के पास पहुँचा, उसकी नज़रें हर कोने में इधर-उधर दौड़ रही थीं। फैक्ट्री का माहौल बेहद डरावना था। खंडहर में तब्दील हो चुकी इमारत की