अचानक आई दूरीमुस्कान के जाने के बाद, लोकेश की ज़िंदगी में एक अजीब सा सूनापन आ गया था। पहले जहाँ बाग में उसकी हंसी गूंजती थी, अब वहाँ सिर्फ ठंडी हवा बहती थी। हर शाम वह उसी बेंच पर बैठता, जहाँ कभी मुस्कान उसके साथ बैठा करती थी, और उसकी बातें कानों में गूंजने लगतीं।पहले वे घंटों बातें किया करते थे, लेकिन अब दिनभर फोन पर सिर्फ दो-चार औपचारिक बातें होतीं। मुस्कान अपनी ट्रेनिंग में व्यस्त थी और लोकेश अपने काम में। लेकिन सच्चाई यह थी कि दोनों ही एक-दूसरे को बुरी तरह मिस कर रहे थे।एक दिन, मुस्कान ने