दो दिलों का मिलन - भाग 4

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मुस्कान के जाने के बाद, लोकेश कुछ देर तक बाग में अकेला बैठा रहा। वह जानता था कि मुस्कान को परिवार के मामलों से निपटने के लिए एकांत की ज़रूरत थी, और उसे यह भी समझ था कि हर रिश्ता अपने समय और स्थान पर ही फलता-फूलता है। लेकिन फिर भी, वह उसकी चिंता और उसकी हालत को महसूस कर रहा था। उसने सोचा, क्या वह सही कर रहा था? क्या वह मुस्कान के साथ और अधिक समर्थन नहीं दे सकता था?वह बाग से बाहर निकलने को हुआ, जब अचानक उसके फोन की घंटी बजी। उसने फोन देखा और मुस्कान