दो दिलों का मिलन - भाग 1

शांतिपूर्ण बाग के बीच में लगे हुए झूलों पर हवा का हल्का-हल्का झोंका आ रहा था। आस-पास के पेड़-पौधे अपनी हरी-हरी पत्तियों को झटकते हुए इस खुशनुमा मौसम का स्वागत कर रहे थे। बाग में दूर-दूर तक न कोई शोर था, न कोई हलचल। बस हर जगह एक अजीब सी शांति और सुकून फैला हुआ था। बाग के एक कोने में, जहां कुछ फूलों से सजी एक छोटी सी बेंच रखी थी, मुस्कान बैठी हुई थी। उसकी आँखें किताब में डूबी हुई थीं, लेकिन कभी-कभी वह आसमान को निहारती, मानो कोई गहरी सोच में खोई हो।लोकेश, बाग में टहलने आया