एक कदम बदलाव की ओर - भाग 9

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सती प्रथा के खिलाफ अर्चना का आंदोलन अब एक बड़ी सामाजिक लहर बन चुका था। गाँवों से लेकर शहरों तक, हर जगह इस कुप्रथा के खिलाफ आवाज़ें उठ रही थीं। यह अब केवल एक लोकहित के लिए नहीं, बल्कि एक मानवाधिकार की लड़ाई बन चुकी थी। अर्चना को अहसास हो गया था कि अब उसे न सिर्फ सती प्रथा, बल्कि अन्य कुप्रथाओं और सामाजिक असमानताओं के खिलाफ भी मोर्चा खोलना होगा।नए संघर्ष का आरंभजब अर्चना ने देखा कि सती प्रथा के खिलाफ एक ठोस बदलाव आया है, तो उसका ध्यान अब अन्य कुप्रथाओं की ओर गया। उसने महसूस किया कि