अर्चना ने तय किया कि अब उसकी लड़ाई गाँव से बाहर निकलकर एक बड़े स्तर पर लड़ी जाएगी। उसकी सोच यह थी कि अगर उसे सती प्रथा के खिलाफ पूरी तरह से मुहिम छेड़नी है, तो केवल गांव के स्तर तक इसे सीमित नहीं रखा जा सकता। उसे प्रशासन के उच्च अधिकारियों से मिलने की आवश्यकता थी, ताकि इस कुप्रथा को पूरी तरह से खत्म किया जा सके।अर्चना की यात्रा की शुरुआतगाँव के कुछ प्रमुख लोग अब भी अर्चना के खिलाफ थे। वे उसे ‘विदेशी विचारधारा का एजेंट’ कहकर उसे बदनाम करने की कोशिश कर रहे थे, लेकिन अर्चना ने