गजराज सिंह खरे निर्भीक की कविता

श्री हनुमंत दोहावलीरचयिता-श्री गजराज सिंह खरे 'निर्भीक'प्रकाशक-दतिया हिन्दी साहित्य समिति दतिया (म०प्र०)मुद्रक-भानु प्रिन्टर्स मुड़ियन का कुआ, दतिया [म०प्र०] ३२०६परिचयश्री गजराज सिंह खरे 'निर्भीक' बुन्देली के जाने-माने हास्य कवि एवं प्रवचन कर्ता हैं। इनका जन्म श्रावण कृष्ण ४ सम्वत् १६६२ में ग्राम खरैला, तहमील मोंठ, जिला झाँसी (उ० प्र०) में एक कायस्थ परिवारमें हुआ। इनके पिता का नाम श्री प्रताप सिह खरे है। आजकलआप ग्राम दरयापुर, जिला दतिया (म०प्र०) में शिक्षक के पद पर कार्यरत हैं। आप कवि सम्मेलनों एवं मानस सम्मेलनों में समान रुप से भाग लेते हैं। श्रोताओं को हँसाते-हँसाते लोट पोट कर देना आपकी विशेषता है। उम्र के