छलावा : ईन हिंदी... writer: जयेश झोमटे.. आसमान में रात का अँधेरा चारो तरफ फैला हूआ था, उस काळे आसमान में कही भी चांद नजर नही आ रहा था - शायद आज अमावस की अशुभ रात थी , जीस दिन कई रुह - काळी परछाइयाँ इंसानी खून और उनके मांस की भुकसे अंधेरे में भटक रही थीं, जिन्हें आम इंसान अपनी आँखों से नहीं देख सकता था। सर्दी का महीना चल रहा था, चौराहा घना कोहराम फैलता जा रहा था । जंगल में लोमड़ी अपनी अजीब सी भयानक आवाज में रो रही थी, जिससे माहौल