में और मेरे अहसास - 119

यादें तेरी तन्हाई में अक्सर यादें तेरी दिल को बहला जाती हैं l मचलते बहकते जज़्बातों को कुछ देर सहला जाती हैं ll   वक्त मिलते ही जरूर आएगें पहली ट्रेन से मिलने l वादा किया तो निभाएंगे ये रूठे को समझा जाती हैं ll   थोड़ा सा आराम देती है बहुत सारा दर्द भी ती है l तो पुरानी किताब में निकली हुई पाती बहका जाती हैं ll   हर पल हर लम्हा तेरा ख्याल ज़हन को घेर कर l साँसें भारी करता और तेज धड़कने तड़पा जाती हैं ll   ऑफलाइन होते हो तो दिल घबरा सा जाता