सभी लोग अपनी अपनी कुर्सी पर बैठे नाश्ते का इन्तजार कर रहे हैं और सुहानी किचन में ना जाने नाश्ते में क्या बना रही है , सुहानी किचन से बाहर आती हूई अपने हाथ में एक बाउल लिए आ रही है , पीछे से श्यामू काका भी खाने के बर्तन ला रहे हैं, थोड़ी देर में एक एक कर सब सामान टेबल पर था , अखण्ड प्रताप अपनी मूंछों पर हाथ फेरते हुए ," आज तो हमारी पोता बहू ने हमारे लिए नाश्ता बनाया है " सुहानी उनकी बात सुनकर हल्का सा मुस्कुरा देती है , सुहानी एक एक कर सबकी