विक्रमादित्य बोले - किन्तु क्या ?आनंद बोला - किन्तु तो यूं ही कह दिया. वास्तव में राजकुमारी लीलावती से विवाह करना बड़ी टेडी खीर है. तुम्हारी प्रतिभा को बहोत पापड़ बेलने पड़ेंगे. फिर भी मेरी सद्भावनायें तुम्हारे साथ है. तुम्हारी यात्रा सफल हो, शुभमस्तु ते पंथान: ..... विक्रमादित्य बोले - बंधु! मात्र मेरी सफलता की कामना से ही सिद्धि प्राप्त होने वाली नहीं है. मुझे कंचनपुर की राजकुमारी लीलावती के विषय में आवश्यक जानकारी कराने में कुछ सहायता कीजिये. आनंद बोला - अवश्य अतिथि! मुझे जितना ज्ञात है उतना बताने में मैं प्रसन्नता का