एक अंधेरी रात एक धुंध वाली रात एक रात जब पुरी दुनियां सोई हुई थी ,तब एक मंदिर के एक बगल वाले झोपड़ी के घर में एक लड़का अपनी जीवन को कैसे बेहतर बनाया जाए,अपने मन को कैसे शांत किया जाए,अपने शरीर को कैसे अच्छा बनाया जाए,यही सोच में लगा हुआ था। पूरा अंधेरा घना कोहरा था, हाथ को हाथ नहीं दिख रहा था,पर वो अपनी सोच में मगन एक फटी पुरानी चादर पर लेटे लेटे एक पुरानी कंबल जो किसी ने दान में दी थी उसको ओढ़े पुराने गीत गुन गुना रहा था।तभी अचानक से एक कार मंदिर के सामने रुकी,जल्दी