रमा को बन्द आंखों के सामने माधव का चेहरा नजर आने लगा। और उसकी कही हुई बातें गूँजनी लगी #मेरे रहते तुम्हें घबराने की जरूरत नहीं......"# तू जो कोई भी हो तेरी हिम्मत कैसे हुई रमा का हाथ पकड़ने की"#"मार डालूँगा तुम्हें... अगर अर्थशास्त्र नहीं लिखा तो"#तुमने तो मुश्किल कर दी रमा ..ना मिली कभी तुम्हारे हाथों की चाय तो मुश्किल ही होगी ना"#आज जब तुम्हें भजन गाते सुना तो खुद व खुद बाँसुरी बजाने लगा...बहुत अच्छा गाती हो तुम" # और जब दुकानदार ने पूँछा कैसे रंग की चूड़ी तो माधव कितने मन से बोला "हरे रंग की" उस