सुहागरात की वह पहली रात बीत चुकी है, लेकिन सुबह होते ही रवि और कविता को एहसास होता है कि उनकी जिंदगी में अब सिर्फ वे दोनों नहीं हैं, बल्कि परिवार और समाज का भी दखल होगा। इस भाग में परिवार की मस्ती, दोस्तों की चुहलबाज़ी, और दोनों के बीच बढ़ते रोमांस को दिखाया जाएगा। सुबह की हलचलसुबह का सूरज खिड़की से कमरे में झांक रहा है। कविता बिस्तर पर लेटी हुई है। उसकी साड़ी का पल्लू हल्का-सा खिसक गया है, और उसके बाल बिखरे हुए हैं। रवि बगल में सोया हुआ है, लेकिन उसकी आंखें खुल जाती हैं।वह कविता