सुहागरातपहली रात की उलझनेंशुरुआतशादी की रौनक खत्म हो चुकी है। दिनभर की भागदौड़ और रस्मों के बाद घर के सभी लोग थके हुए हैं। हवेली का आंगन अब शांत है, लेकिन दुल्हन का कमरा खास तैयारी से सजा हुआ है।कमरे के अंदर, गुलाब की पंखुड़ियां बिस्तर पर बिखरी हुई हैं। दीवारों पर हल्की सुनहरी रोशनी फैलाने वाली मोमबत्तियां जल रही हैं। खिड़की से ठंडी हवा आ रही है। यह वो खास रात है, जिसका ज़िक्र सबने मज़ाक में दिनभर किया था।रवि दरवाजे के पास खड़ा है। उसने अभी तक कमरे में कदम नहीं रखा। उसकी सांसें तेज़ चल रही हैं।