THE HEAD HUNTER

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जिस रात काल ने सब कुछ खो दिया, वह लड़का जो कभी था, अब अस्तित्व में नहीं रहा। जब वह अपने गांव के खंडहरों से रेंगता हुआ आगे बढ़ा तो उसकी त्वचा पर धुआँ चिपक गया। उसके नंगे पैर राख पर चल रहे थे, उन लोगों के बेजान रूप के पास से गुज़र रहे थे जिन्हें वह जानता था- पड़ोसी, दोस्त, उसके माता-पिता। उसने उन पर नज़र नहीं डाली; उसने खुद को कुछ भी महसूस नहीं होने दिया। आँसू के लिए कोई जगह नहीं थी। जो कुछ बचा था वह था उसके पिता का गिरना, हथौड़े का उसकी मुट्ठी से