सात फेरों के खतम होने के बाद दोनों अपनी जगह बैठ गए।"बर .. बधु को सिंदूर और मंगल सूत्र पहनाएंगे"। पंडित जी की बात सुन ते ही वहीं मंडप के पास खड़ी हुई एक लडकी... सायद मेहेक की सहेली ही कोई होगी.... मेहेक की घूंगत उठा ते लगी ....."राठोड़ खानदान की ये परंपरा है के सारे रसम खतम ना होने तक दुल्हा ...दुल्हन का चेहरा नहीं देख सकता... इसलिए में ऐसे ही बीना घूंघट खोले अपनो दुल्हन को मंगलसूत्र और सिंदूर पहनाऊंगा।".....राजबीर बीना किसी भाव के बिक्रम जी के तरफ देख ते हुए ये नई परम्परा का एलान किया तो