उस दिन मेरा भाई गोटमार मेला घूमने गया था। जब नदी के दूसरी तरफ से लोगों ने पत्थर फेंकने शुरू किए तो एक पत्थर भाई के पैर में लगा। वो नदी में गिर गया। जान बचाने के लिए वो मदद मांगता रहा, लेकिन लोग तब भी लगातार पत्थर बरसाते रहे।भाई को तैरना आता था, लेकिन नदी का बहाव तेज था। इसलिए वो निकल नहीं पाया। छटपटाता रहा और उसकी मौत हो गई। उसका एक साल का बेटा है। जिसके सिर से पिता का साया छिन गया। इस गोटमार प्रथा ने मेरा भाई छीन लिया।इतना कहते ही पांढुर्णा के विष्णु लेंडे