रात के करीब 8:30 बज रहे थे। ऑफिस से लौटने के बाद सहदेव ने जल्दी से खाना खा लिया था और अब अपने लैपटॉप पर काम कर रहा था। उसके कमरे में सिर्फ लैपटॉप की रोशनी और खिड़की से आती चांदनी की हल्की चमक थी। पूरा दिन उसके दिमाग में एक ही बात घूम रही थी—कैसे वह इस प्रोजेक्ट का हिस्सा बन सकता है। वह एक कुशल कंटेंट राइटर था, और उसे अपनी क्षमता पर पूरा भरोसा था। लेकिन मनीषा के रवैये ने उसे बार-बार यह महसूस कराया कि उसकी योग्यता को नजरअंदाज किया जा रहा है। उसे साबित करना था