अगले दिन की सुबह 10 बज कर 10 मिनट. . .विजय = ' यार बंटी सुनो तो. चलो ना मार्केट जा कर आते है. थोड़ा टाइम स्पेंड कर के आते है. इसे थोड़ा माइंड फ्रेश हो जायेगा. और काम भी अच्छे से हो जाएगा. और पूरा दिन बहुत अच्छे से बीत जायेगा. और ज्यादा इधर उधर भटकना भी नही पड़ेगा हमे. ठीक है. 'बंटी = ' हा भाई चलो चलते है. वेट अभी बाइक निकालता हु. बस तुम यही पर रुको ठीक है.. अच्छा भाई सुनो ना में ये सोच रहा था. की क्यू ना सलोनी को भी बुला लिया