बहुत समय पहले की बात है, पहाड़ियों के बीच बसा एक छोटा सा गाँव था जिसका नाम था ‘मालतीनगर ‘। गाँव की आबादी कम थी, पर लोग खुश और संतुष्ट थे।लेकिन इस गाँव के बाहर एक ऐसा स्थान था जिसे सुनकर ही लोगों की रूह काँप जाती थी। गाँव के बाहर, घने जंगल के बीच एक पुरानी, टूटी-फूटी हवेली थी। यह हवेली इतनी पुरानी थी कि उसकी दीवारें जगह-जगह से टूटी हुई थीं और उस पर काई जम चुकी थी। हवेली को ऊँचे पेड़ों का घना घेरा छुपाए रहता था। वहां का माहौल रीढ़ की हड्डी तक सिहरन पैदा कर