अनंत प्रेम

  • 771
  • 186

एक अधूरी शामसर्दियों की एक शांत शाम थी। दिल्ली की सड़कों पर हल्का कोहरा छाया हुआ था। नैना, अपने पसंदीदा कॉफी शॉप में बैठी, खिड़की के बाहर देख रही थी। हर बार की तरह उसके हाथ में एक किताब थी, लेकिन आज उसका ध्यान पन्नों पर नहीं था। वह सोच रही थी उस शख्स के बारे में, जिसे उसने कुछ महीने पहले ही एक दोस्त की पार्टी में देखा था।आर्यन।आर्यन का मुस्कुराता हुआ चेहरा और उसकी बातें अब भी नैना के मन में गूँजती थीं। वह पहली मुलाकात खास थी, क्योंकि दोनों का किताबों के प्रति प्यार एक जैसी तीव्रता