ये वादा रहा

“ये वादा रहा” (व्यंग्य कथा) सुबह-सुबह दफ्तर जाने के लिये घर का मेन गेट खोला तो सामने के खाली प्लाट पर नाग देवता फन काढ़े हुए हमारे घर की तरफ देखते नाग को इस तरह अपनी तरफ एकटक देखा तो मेरी रूह फ़ना हो गई। मैंने खुद को कोसा कि जब गाय को रोज दो रोटी खिलाया ही करता हूँ तो मैंने फिर नेवले को दो ब्रेड खिलाना बंद क्यों कर दिया ? अब इसे कंजूसी कहें या लापरवाही कि ब्रेड के एक टुकड़े के चक्कर में सुबह सुबह नेवला मेरे घर के आसपास अक्सर मंडराता रहता था। उसी एक