Part - 3हर बार मैंने उसे देखा और हर बार मेरा प्यार उसके लिए बढ़ता ही गया। उसे देखना मेरे लिए दिन का सुकून था। हमेशा सुबह उसकी बस के आने का इंतजार करता था। हर रोज जब वह बस से उतरती तो मानो उसे देखकर ही मेरा दिन बन जाता था। उसके बाद चाहे जितना भी बेकार दिन क्यों न हो, उसकी वह मुस्कान देखकर ही मैं खुश रहता था। फिर मैंने यह तय कर लिया कि स्कूल में ऐसी प्रतिष्ठा चाहिए जिससे कि उसको मुझसे बात करने का मन हो। अब मेरे पास वही 2 विकल्प थे। दूसरा