"बेटा, बस्स कहीं ठहराने के इंतजाम कर दो बड़ा एहसान होगा" सुशीला ये बोलते हुए दीवार की तरह रमा के आगे जाकर खड़ी हो गयी"हाँ क्यों नहीं...लेकिन कहीं और क्यों? आप लोग इसी घर में रह जाइये" माधव मुस्कुराते हुए बोला"यहाँ .? अगर भाई साहब होते तो और बात थी...लेकिन""जी, मेरे पिताजी ने ही कहा था कि वो आपकी मदद करेंगे, और हर बेटे का कर्तव्य है कि वो अपने पिता के बचे हुए कार्य पूरे करे..किसी तरह की चिंता मत कीजिये ..यहाँ आप लोगों को कोई दिक्कत नहीं होगी" माधव अपने हाथ घर की ओर फैलाते हुए बोला"उन्होंने मुझे