...!!जय महाकाल!!...अब आगे...!!सात्विक ने जब यह सुना.....की उसे सीट बेल्ट लगाना नहीं आता.....तोह वह उसे अजीब नजरों से देखने लगा.....फिर आगे बढ़ कर सीट बेल्ट लगा दिया.....द्रक्षता अपने घर पहुंचने तक कुछ ना बोली.....चुप चाप बाहर देखती रही.....और सात्विक छुप छुप कर उसे देखता रहा.....जब वो घर पहुंच गए.....तब मान्यता उतर गई और अंदर चली गई.....द्रक्षता उतर ही रही थी.....की सात्विक ने उसका हाथ थाम लिया.....जिससे द्रक्षता की धड़कनें बुलेट ट्रेन की स्पीड को भी पीछे छोड़ रही थी.....वोह मुड़ कर उसे देखने लगी.....जो उसे ही देख रहा था.....उसने उसे कहा:अब से आप किसी होटल.....में वेट्रेस का वर्क करने नहीं