इश्क़ के रंगशाम ढल रही थी। सूरज के ढलते ही आसमान लाल, नारंगी और सुनहरे रंगों में रंग गया था। शहर की भागती-दौड़ती ज़िंदगी के बीच, एक पुराना कैफ़े था, जहाँ अक्सर ज़िंदगी के ठहरे हुए लम्हे मिल जाते थे। वहीं बैठी थी आर्या, अपने हाथों में किताब लिए, लेकिन उसकी आँखें हर पन्ने के पार जाकर किसी के इंतज़ार में खोई हुई थीं।आर्या के इंतज़ार का नाम था अरमान। वे दोनों पहली बार इस कैफ़े में मिले थे। एक किताब की चर्चा करते हुए, उनका परिचय गहराई में बदल गया। अरमान के अंदर की सादगी और आर्या के चेहरे