गोमती, तुम बहती रहना - 9

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               अपने जीवन में अनगिनत लोगों का साथ मिलता - बिछड़ता रहा। कुछ दो चार कदम चले, फिर सायास या अनायास उनका  साथ छूट गया या यह भी कह सकते हैं कि वे साथ छोड़कर चले गए । कुछ दो चार साल संग साथ चले , उनका भी साथ छूट गया। कुछ प्रत्यक्षत: आस पास नहीं हैं, स्मृतियों के अंतहीन गलियारे में लगभग भटक से गए थे किंतु यकायक सोशल मीडिया या संचार माध्यम से वे उसी संलग्नता से  अब फिर से जुड़ गए  हैं जैसा पहले जुड़े थे।सोशल मीडिया की  भूमिका भी बहु