वह चाहती थी कि शायद किसी और की ज़िंदगी उसकी तरह बर्बाद न हो। और फ़िर उसने दूसरों को अपनी कहानी सुनाकर यह समझाने की कोशिश की कि ग़लतियों का ख़ामियाजा कितना भारी हो सकता है। अन्तिम स्वीकृतिजेल में बिताए गए कई सालों बाद, अनामिका ने एक दिन ख़ुद से सच्चाई स्वीकार कर ली। उसने समझ लिया था कि उसने अपने प्यार और इच्छाओं के चक्कर में अपनी पूरी जिंदगी खो दी। लेकिन अब उसके पास कोई विकल्प नहीं था, सिवाय इसके कि वह अपने शेष जीवन को एक प्रायश्चित के रूप में जीए। आख़िरी दिनों में, अनामिका की तबीयत काफ़ी ख़राब