इला बेन पाठक की 'आवाज़'-- घरेलु हिंसा के विरुद्ध

नीलम कुलश्रेष्ठ मैंने चालीस वर्ष पूर्व एक सर्वे किया था कि गुजरात की इतनी महिलायें आत्महत्याएं क्यों करतीं हैं ? बाद के वर्षों मे मै रोमांचित होती रही थी कि यहाँ कितनी महिलायें अपने ऑफ़िस खोलकर स्त्री समस्यायों से जूझ रहीं हैं, कहते हैं दुनिया गोल है कि यदि इसकी परिक्रमा लगायें तो जहाँ से चले थे वहीँ पहुँच जाते हैं मै चौदह पंद्रह वर्ष पहले म. स. विश्वविध्यालय, वड़ोदरा मै 'आवाज़' के एक कार्यक्रम मै सम्मिलित हुई थी और आज अर्थात सन 2010 में अहमदाबाद स्थित | इसी संस्था के ऑफ़िस में इसकी संस्थापक इला पाठक के सामने बैठी