पुष्पा 2 - फिल्म समीक्षा

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पुष्पा 2 : हमारे विद्रोह और दबे अरमानों का प्रतीक है पुष्पा  ___________________________ " एक व्यक्ति अन्न उगाता है दूसरा रोटी बनाता है और  तीसरा उसे खाता है और बाकी उसे खाते देखते हैं "    लेकिन अब वह बाकी दोनों व्यक्ति यह तय करते हैं कि हम अपनी मेहनत से उगी फसल से बनी रोटी खुद ही खाएंगे। यह "पुष्पा"पहले भाग का फलसफा था। जिसमें एक बेहद गरीब मजदूर जिसके पिता का नाम नहीं होता ,उसकी कहानी थी। जिसके पास सिर्फ खोने को जान होती है। तो वह उसी को दांव पर लगाता है और इत्तफाक से हर बार